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    दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार

    परिचय

    दिव्यांगजन (PwDs) के कल्याण और सशक्तिकरण से संबंधित नीतिगत मुद्दों पर विशेष ध्यान देने और इन गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के उद्देश्य से, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से एक अलग विभाग, “दिव्यांगजन कार्य विभाग”, 12 मई 2012 को गठित किया गया। इस विभाग का नाम 8 दिसंबर 2014 को “दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग” कर दिया गया। यह विभाग दिव्यांगता से संबंधित मामलों में नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है और विभिन्न संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों आदि के बीच समन्वय स्थापित करता है।

    विभाग का मिशन है – दिव्यांगजन को सशक्त बनाना, जिसके लिए वह विभिन्न अधिनियमों, संस्थानों, संगठनों और पुनर्वास योजनाओं के माध्यम से कार्य कर रहा है। इसका उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर, अधिकारों की सुरक्षा और एक ऐसा सक्षम वातावरण प्रदान करना है, जिससे वे समाज के स्वतंत्र और उत्पादक सदस्य के रूप में भाग ले सकें। वर्तमान में विभाग के अधीन 09 स्वायत्त निकाय (राष्ट्रीय संस्थान), 02 निगम, 03 वैधानिक निकाय और 25 संयुक्त क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) कार्यरत हैं।

    वर्ष 1969 में सरकार द्वारा एक योजना को स्वीकृति दी गई, जिसके अंतर्गत विशिष्ट दिव्यांग व्यक्तियों (नियोक्ता और कर्मचारी) को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए जाने लगे। इन पुरस्कारों का उद्देश्य दिव्यांगजन से संबंधित मुद्दों पर जनमानस का ध्यान आकर्षित करना और समाज में उनकी मुख्यधारा में भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। समय-समय पर इस योजना के दायरे में आवश्यक संशोधन किए गए हैं।

    यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को ‘दिव्यांगजन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के अवसर पर उन विशिष्ट दिव्यांगजन एवं व्यक्तियों/संगठनों को प्रदान किए जाते हैं जो दिव्यांगजन के सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रहे हैं।

    वर्ष 2017 तक यह पुरस्कार योजना “राष्ट्रीय पुरस्कार नियम, 2013” के अंतर्गत संचालित थी, जो “दिव्यांगजन अधिनियम, 1995” के तहत 7 श्रेणियों की दिव्यांगता को मान्यता देती थी। लेकिन 19 अप्रैल 2017 से “दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016” लागू होने के पश्चात मान्यता प्राप्त दिव्यांगता की श्रेणियाँ 7 से बढ़ाकर 21 कर दी गईं। तदनुसार, सभी 21 श्रेणियों को “राष्ट्रीय पुरस्कार दिशा-निर्देश” में सम्मिलित किया गया, जिसे भारत के राजपत्र (2 अगस्त 2018) में अधिसूचित किया गया।

    जुलाई 2020 में, गृह मंत्रालय ने यह सुझाव दिया कि विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा बड़ी संख्या में पुरस्कारों की स्थापना और अत्यधिक संख्या में पुरस्कार विजेताओं के चयन से इन पुरस्कारों की प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है। इस संबंध में माननीय प्रधानमंत्री की दृष्टि साझा की गई, जो इस प्रकार है:

    “सरकारी पुरस्कारों की पूरी प्रणाली को रूपांतरित करना, विशेषकर विश्वसनीयता और विश्वास स्थापित करना — योग्यता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, जन सहभागिता, सरलता, दक्षता और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर केंद्रित रहकर। और पुरस्कार विजेताओं का चयन ऐसा होना चाहिए जिससे पुरस्कार की गरिमा बढ़े और उनके अद्वितीय योगदान से राष्ट्र को प्रेरणा मिले।”

    “दिव्यांगजन सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार” के दिशा-निर्देशों को सरल और संशोधित कर भारत के राजपत्र (19 जुलाई 2022) में अधिसूचित किया गया है (संलग्नक-I देखें)। इन संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत दो मुख्य श्रेणियाँ हैं:

    • व्यक्तिगत उत्कृष्टता (6 उप-श्रेणियाँ)
    • संस्थागत सशक्तिकरण (8 उप-श्रेणियाँ)

    संशोधित दिशा-निर्देशों के अंतर्गत आवेदन/नामांकन केवल ऑनलाइन माध्यम से गृह मंत्रालय द्वारा विकसित www.awards.gov.in पोर्टल पर आमंत्रित किए जाते हैं।