विभाग निम्नलिखित तीन अधिनियमों का संचालन करता है:-
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016
स्वपरायणता, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहु –निःशक्तताग्रस्त व्यक्तियों के कल्याण हेतु अधिनियम, 1999
भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम, 1992
दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिनियम, 2016 को 28.12.2016 को अधिनियमित किया गया था जो 19.04.2017 से लागू हुआ। इस अधिनियम की अधिनियम की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए उपयुक्त सरकारों पर जिम्मेदारी डाली गई है कि दिव्यांगजन दूसरों के साथ समान रूप से अपने अधिकारों का आनंद लें।
- दिव्यांगता को एक उद्विकासी और गतिशील अवधारणा के आधार पर परिभाषित किया गया है।
- इस अधिनियम में निम्नलिखित विनिदष्ट दिव्यांगताओं शामिल हैं:-
- शारीरिक दिव्यांगता
(अ) गतिविषयक् दिव्यांगता
-
-
- कुष्ठ रोगमुक्ति व्यक्ति
- प्रमस्तिष्क घात
- बौनापन
- पेशीयदुष्पोषण
- तेजाबी आक्रमण पीड़ित
-
- (आ) दृष्टिगत ह्रास
-
-
- अंधता’
- निम्न दृष्टि
-
(इ) श्रवण शक्ति का ह्रास
-
-
- बधिर
- ऊंचा सुनने वाला व्यक्ति
-
(ई) ‘‘वाक् और भाषा दिव्यांगता
-
-
- बौद्धिक दिव्यांगता, ‘विनिर्दिष्ट विद्या दिव्यांगता, स्वपरायणता स्पैक्ट्रम विकार
-
- मानसिक व्यवहार
- निम्नलिखित के कारण दिव्यांगता
(क) चिरकारी तंत्रिका दशाए
-
- बहु-स्केलेरोसिक
- पार्किसन रोग
(ख) रक्त विकृति
-
- हेमोफीलिया
- थेलेसीमिया
- सिक्कल कोशिका रोग
5.बहुदिव्यांगता
- बेंचमार्क दिव्यांगजनों और उच्च समर्थन आवश्यकताओं वाले दिव्यांगजनों के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान किए गए हैं।
- 6 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बीच बेंचमार्क दिव्यांगता वाले प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार होगा।
- बेंचमार्क दिव्यांगजनों के लिए सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों में सीटों में 5% आरक्षण।
- निर्धारित समय-सीमा में सार्वजनिक भवनों (सरकारी और निजी दोनों) में सुगम्यता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है।
- बेंचमार्क दिव्यांगजनों के निर्दिष्ट श्रेणीयों के लिए सरकारी नौकरियों में 4% आरक्षण।
- इस अधिनियम में जिला न्यायालय या राज्य सरकार द्वारा नामित किसी प्राधिकारी द्वारा अभिभावकता प्रदान करने का प्रावधान है जिसके अंतर्गत अभिभावक और दिव्यांग के बीच संयुक्त निर्णय लिया जाएगा।
- व्यापक आधार वाले केंद्रीय और राज्य दिव्यांगता सलाहकार बोर्डों को नीति निर्माण निकायों के रूप में स्थापित किया जाएगा।
- इस अधिनियम में दिव्यांगजनों के मुख्य आयुक्त और राज्य दिव्यांगआयुक्तों के कार्यालय को सुदृढ़ करने का प्रावधान है जो नियामक निकायों और शिकायत निवारण एजेंसियों के रूप में कार्य करेंगे और अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी भी करेंगे। इन कार्यालयों को एक सलाहकार समिति द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी जिसमें विभिन्न दिव्यांगताओं के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
- दिव्यांगजनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य निधि का सृजन।
- अधिनियम में दिव्यांगजनों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है।
- दिव्यांगजनों के अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए नामित विशेष न्यायालय ।
1 . दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995
यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेतद 253 सह पठित संघ सूची की मद क्रम संख्यां 13 के अंतर्गत अधिनियमित किया गया है। यह एशियाई एवं प्रशांत क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों की पूर्ण भागीदारी और समानता की उद्घोषणा को कार्यान्वित करता है और उनकी शिक्षा, उनके रोजगार, बाधारहित परिवेश का सृजन, सामाजिक सुरक्षा, इत्यादि का प्रावधान करता है। इस अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों, स्थानीय निकायों सहित यथोचित सरकारों द्वारा एक बहु कार्यक्षेत्र सहयोगात्माक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।