एफएक्यू
बहुधा पूछे जाने प्रश्नर (एफएक्यू )
आरटीआई और आईएफसी
1. “सूचना का अधिकार” क्या है?
“सूचना का अधिकार” का अर्थ अधिनियम के तहत सुगम्य सूचना का अधिकार है, जो जन प्राधिकरण के पास है या उसके नियंत्रण में है और इसमें निम्नलिखित अधिकार शामिल है:-
- काम, दस्तावेजों, रिकार्डों का निरीक्षण;
- टिप्पणियां, सार या दस्तावेजों अथवा रिकार्डों की प्रमाणित प्रतियां लेना;
- सामग्री के प्रमाणित नमूने लेना;
- डिस्केट्स, फ्लॉपीज, टेप, वीडियो कैसेट के रूप में या किसी भी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में या इस मामले में प्रिंट के माध्यम से सूचना प्राप्त करना, जहां ऐसी जानकारी कंप्यूटर या किसी अन्य उपकरण में रखी गई है।
2. आरटीआई अधिनियम के तहत किस प्रकार की सूचना प्राप्त की जा सकती है?
अधिनियम की धारा 2 (एफ) के तहत परिभाषित किए गए अनुसार सूचना का प्रकार जिसे प्राप्त किया जा सकता है, इसमें शामिल हैं- किसी भी इलेक्ट्रानिक रूप में उपलब्ध रिकार्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉग बुक, संविदा, रिपोर्ट, कागजात, नमूने, मॉडल, डाटा सामग्री और किसी भी निजी निकाय से संबंधित सूचना जिसे फिलहाल लागू किसी भी कानून के तहत जन प्राधिकरण द्वारा देखा जा सकता है, सहित कोई भी सामग्री किसी भी रूप में।
3. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत कौन सूचना मांग सकता है?
अधिनियम के तहत कोई भी भारतीय नागरिक सूचना मांग सकता है।
4. जन प्राधिकरण के रूप में यदि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग से संबंधित सूचना मांगी जानी है तो किसे आवेदन भेजा जाना चाहिए?
यदि इस विभाग से संबंधित सूचना मांगी जाती है, तो केंद्रीय जन सूचना अधिकारी, 5वां तल, कमरा नंबर 517, बी-II विंग, पंडित दीनदयाल अंत्योदय भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्ली-110003 के पते पर आवेदन भेजा जा सकता है।
5. सूचना प्राप्त करने के लिए लिए आवेदन कैसे बनाया जाना होता है?
‘’पी एंड ए ओ, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग’’ के 10/- रूपये के आवेदन शुल्क के साथ इस विभाग के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को, हिंदी या अंग्रेजी में, लिखित में अनुरोध किया जा सकता है। इसे https://rtionline.gov.in पर ऑनलाईन भी फाइल किया जा सकता है।
6. आरटीआई आवेदन शुल्क कितना है?
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की दिनांक 31.07.2012 की राजपत्र अधिसूचना सं. जी एस आर 603 (ई) के अनुसार अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (1) के तहत आवेदन के साथ 10/- रुपये (दस रुपये) का शुल्क संलग्न होना चाहिए।
7. सूचना मांगने के लिए किस भाषा में अनुरोध किया जा सकता है?
आरटीआई अधिनियम की धारा 6 (1) के अनुसार, अनुरोध अंग्रेजी या हिंदी या आवेदन जिस क्षेत्र से किया जा रहा है उस क्षेत्र की कार्यालयी भाषा में किया जा सकता है।
8. क्या तृतीय पक्ष से संबंधित या तृतीय पक्ष द्वारा दी गई और तृतीय पक्ष द्वारा गोपनीय मानी जाने वाली सूचना या रिकार्ड को अधिनियम के तहत दिया जा सकता है?
तृतीय पक्ष को लिखित में नोटिस देने और तृतीय पक्ष की स्वीकृति पर विचार करने के पश्चात् ही ऐसी सूचना भेजी जा सकती है।यदि प्रकटीकरण से इस प्रकार के तृतीय पक्ष को होने वाली क्षति या नुकसान की तुलना में जनहित अधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होता है तो सूचना दी जा सकती है।
9. क्या विभाग में कोई सुविधा सेवा डेस्क कार्य कर रही है?
आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत आरटीआई आवेदनों/प्रथम अपीलों की प्राप्ति की प्राप्ति के लिए पंडित दीनदयाल अंत्योदय भवन, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्ली- 110003 पर एक सुविधा सेवा डेस्क कार्य कर रही है।
10. जन सूचना अधिकारी क्या है?
जन प्राधिकरणों ने अपने कुछ अधिकारियों को जन सूचना अधिकारी के रूप में नामित किया है। आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना मांगने वाले व्यक्ति को सूचना देने की जिम्मेदारी उनकी है।
11. क्या आवेदन का कोई विशिष्ट प्रारूप है?
सूचना मांगने के लिए आवेदन का कोई निर्धारित प्रारूप नहीं है। कोरे कागज पर आवेदन किया जा सकता है। हालांकि, आवेदन में आवेदक का नाम और पूरा पोस्टल पता होना चाहिए।
12. क्या सूचना मांगने के लिए कोई कारण देना आवश्यक है?
सूचना मांगने वाले को सूचना मांगने के लिए कारण देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
13. सूचना प्रदान करने की समयावधि क्या है?
सामान्य स्थिति में, सार्वजनिक प्राधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्त करने के 30 दिनों के भीतर आवेदक को सूचना प्रदान की जाएगी ।
14. क्या सूचना के अधिकार कानून के तहत अपील का कोई प्रावधान है?
यदि किसी आवेदक को तीस दिनों के निर्धारित समय के भीतर सूचना नहीं दी जाती है या वह उसे दी गई जानकारी से संतुष्ट नहीं है, वह प्रथम अपीलीय प्राधिकरण को एक अपील कर सकते हैं जो जन सूचना अधिकारी से रैंक में वरिष्ठ अधिकारी हैं ।
15. प्रथम अपील करने के लिए समय अवधि क्या है?
प्रथम अपील, सूचना प्रदान करने की 30 दिनों की समय सीमा समाप्त होने तारीख या जिस तारीख को जन सूचना अधिकारी द्वारा दी गई सूचना या निर्णय प्राप्त होता है, उस तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर दायर की जानी चाहिए ।
16. प्रथम अपील के निपटान के लिए समय अवधि क्या है?
सार्वजनिक प्राधिकरण का प्रथम अपीलीय प्राधिकारी अपील प्राप्त होने के तीस दिनों की अवधि के भीतर प्रथम अपील का निपटान करेगा।
17. क्या सूचना के अधिकार कानून के तहत दूसरी अपील की कोई गुंजाइश है?
यदि प्रथम अपीलीय प्राधिकारी निर्धारित अवधि के भीतर अपील पर आदेश पारित करने में विफल रहता है या यदि अपीलकर्ता प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के आदेश से संतुष्ट नहीं है, तो वह जिस तारीख को प्रथम अपीलीय प्राधिकारी द्वारा निर्णय किया जाना चाहिए था या वास्तव में अपीलकर्ता द्वारा प्राप्त किया गया था, उसके नब्बे दिनों के भीतर केंद्रीय सूचना आयोग में दूसरी अपील कर सकते हैं।
18. थर्ड पार्टी क्या है?
अधिनियम के संबंध में थर्ड पार्टी का अर्थ उस नागरिक के अलावा अन्य व्यक्ति से है जिसने सूचना के लिए अनुरोध किया है और जिसमें कोई सार्वजनिक प्राधिकरण शामिल है ।
19. थर्ड पार्टी सूचना क्या है?
जहां एक केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी इस अधिनियम के तहत किए गए अनुरोध पर किसी भी जानकारी या रिकॉर्ड, या उसके हिस्से को प्रकट करना चाहता है, जो किसी थर्ड पार्टी द्वारा प्रदान किया गया है या उससे संबंधित है तथा उसे उस थर्ड पार्टी द्वारा गोपनीय माना गया है, केंद्रीय जन सूचना अधिकारी, अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिनों के भीतर, ऐसी थर्ड पार्टी को उक्त अनुरोध तथा इस तथ्य के बारे में लिखित सूचना देगा कि केंद्रीय जन सूचना अधिकारी सूचना या रिकॉर्ड, या उसके हिस्से को प्रकट करना चाहता है, और लिखित या मौखिक रूप से यह प्रस्तुत करने के लिए थर्ड पार्टी को आमंत्रित करता है कि क्या सूचना को प्रकट किया जाना चाहिए, और सूचना के प्रकटीकरण के बारे में निर्णय लेते समय थर्ड पार्टी के इस तरह के निवेदन को ध्यान में रखा जाएगा ।
20. लोक प्राधिकारी क्या है?
एक “लोक प्राधिकारी” संविधान द्वारा या उसके अधीन; संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा; केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किये गए आदेश द्वारा स्थापित या गठित कोई प्राधिकारी या निकाय या स्वशासन संस्थान है ।
केंद्र सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन वाले, नियंत्रणाधीन या पर्याप्त रूप से वित्त पोषित निकाय और केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त रूप से वित्तपोषित गैर-सरकारी संगठन भी लोक प्राधिकारी की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं ।