डी.डी.आर.एस
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| दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना (डीडीआरएस) के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए नई परियोजना प्रस्तावों पर विचार करने के लिए 29 फरवरी, 2024 को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के कार्यवृत्त। | 
                                                
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| संशोधित डीडीआरएस योजना 01.04.2023 से प्रभावी | 
                                                
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| संशोधित डीडीआरएस योजना 01.04.2022 से प्रभावी | 
                                                
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| दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना , 1 अक्टूबर, 2024 से संशोधित दिशा-निर्देश | 
                                                
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डीडीआरएस के एफएक्यू
- डीडीआरएस क्या है?
डीडीआरएस का आशय दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना है जिसके तहत, केंद्र सरकार दिव्यांगजनों के पुनर्वास से संबंधित परियोजनाओं के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सहायता अनुदान प्रदान कर रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें अपने इष्टतम, शारीरिक, संवेदी, बौद्धिक, भौतिक-सामाजिक कार्यात्मक स्तरों तक पहुंचने और उस स्तर को बनाए रखने में सक्षम बनाना है। इस योजना का विवरण डीईपीडब्ल्यूडी की वेबसाइट www.disabilityaffairs.gov.in के साथ-साथ ई-अनुदान पोर्टल यानी grants.depwd.gov.in पर भी उपलब्ध है।
- डीडीआरएस के उद्देश्य क्या है/हैं?
इस योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर, समानता, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने हेतु एक सक्षम वातावरण बनाना।
- संशोधित दिव्यांगजन अधिनियम, 2016 (आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016) के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्वैच्छिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना।
- डीडीआरएस के तहत अनुदान के लिए स्वीकार्य गतिविधियां/घटक क्या हैं?
विभिन्न मॉडल परियोजनाओं के तहत इस योजना के अधीन सहायता के लिए निम्नलिखित घटक स्वीकार्य हैं:
- आवर्ती व्यय-
- कर्मचारियों को मानदेय
- लाभार्थियों का परिवहन
- लाभार्थियों के लिए वजीफा / छात्रावास रखरखाव
- कच्चे माल की लागत
- कार्यालय व्यय, बिजली और पानी के प्रभार आदि को पूरा करने के लिए आकस्मिकताएं।
- किराया
 
- गैर-आवर्ती व्यय जैसे फर्नीचर, उपकरण आदि।
- डीडीआरएस के तहत मॉडल परियोजनाएं क्या हैं?
डीडीआरएस के तहत 8 मॉडल परियोजनाएं निम्नलिखित हैं:-
- गृह आधारित पुनर्वास और समुदाय-आधारित पुनर्वास परियोजना के प्रावधान के साथ क्रॉस डिसेबिलिटी प्री-स्कूल और शीघ्र उपचार (अर्ली इंटरवेंशन) ।
- गृह आधारित पुनर्वास और समुदाय आधारित पुनर्वास परियोजना के विकल्प के साथ श्रवण बाधित दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष स्कूल।
- गृह आधारित पुनर्वास और समुदाय आधारित पुनर्वास परियोजना और लो विजन सेंटर परियोजना के विकल्प के साथ दृष्टि बाधित दिव्यांग (बधिरता सहित) बच्चों के लिए विशेष स्कूल।
- गृह आधारित पुनर्वास और समुदाय-आधारित पुनर्वास परियोजना के विकल्प के साथ अन्य दिव्यांगता (आईडी/सीपी/एएसडी/एमडी/मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, डीफब्लाइंडनेस आदि) ग्रस्त बच्चों के लिए विशेष स्कूल।
- गृह आधारित पुनर्वास और समुदाय आधारित पुनर्वास परियोजना के विकल्प के साथ कुष्ठ रोग से उपचारित व्यक्तियों का पुनर्वास।
- गृह-आधारित पुनर्वास और समुदाय-आधारित पुनर्वास परियोजना के विकल्प के साथ मानसिक रुग्णता से उपचारित और नियंत्रित व्यक्तियों के मनोवैज्ञानिक-सामाजिक पुनर्वास के लिए हाफ वे होम।
- समावेशी शिक्षा परियोजना को जारी रखने के लिए विशिष्ट अधिगम (स्पेशल लर्निंग) दिव्यांग बच्चों के लिए प्रारंभिक / उपचार केंद्र।
- क्रॉस-डिसेबिलिटी थेरेपी और परामर्श केंद्र परियोजना।
- आवश्यक न्यूनतम संख्या क्या है (बच्चों के साथ-साथ कर्मचारी)?
प्रत्येक परियोजना के लिए अपेक्षित न्यूनतम संख्या (बच्चों और स्टाफ) अलग-अलग होती है और यह संख्या प्रत्येक परियोजना के लिए योजना के अंतर्गत उल्लिखित होती है ।
- डीडीआरएस के तहत सहायता अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए कौन से संगठन पात्र हैं?
इस योजना के तहत सहायता के लिए निम्नलिखित संगठन / संस्थान आवेदन करने के लिए पात्र होंगे:
- सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का XXI), या राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी प्रासंगिक अधिनियम के तहत पंजीकृत संगठन; अथवा,
- भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 या किसी अन्य समान अधिनियम, जो अभी लागू है, के तहत पंजीकृत एक न्यास; अथवा,
- कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 या किसी भी प्रासंगिक अधिनियम, जो अभी लागू है, के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी ।
इसके अलावा, इस योजना के तहत अनुदान के लिए आवेदन करते समय पंजीकरण कम से कम 2 साल के लिए लागू होना चाहिए ।
उपर्युक्त पैरा (i) से (iii) में विनिर्दिष्ट संगठन/संस्थान की निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए:
- इसके पास शक्तियों, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और लिखित रूप में निर्धारित एक उचित रूप से गठित प्रबंधन निकाय होना चाहिए।
- इसके पास कार्यक्रम शुरू करने के लिए संसाधन, सुविधाएं और अनुभव होना चाहिए ।
- इसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के निकाय के लाभ के लिए नहीं चलाया जाना चाहिए ।
- इसे लिंग, धर्म, जाति या पंथ(क्रीड) के आधार पर किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के खिलाफ भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- इसे आमतौर पर दो साल की अवधि के लिए अस्तित्व में होना चाहिए।
- इसकी वित्तीय स्थिति मजबूत होनी चाहिए ।
- सहायता अनुदान के लिए आवेदन कैसे करें?
दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना (डीडीआरएस) के तहत सहायता अनुदान (जीआईए) चाहने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों को आवेदन करने से पहले नीति आयोग के एनजीओ दर्पण पोर्टल अर्थात् www.ngodarpan.gov.in पर खुद को पंजीकृत करना चाहिए और विशिष्ट आईडी प्राप्त करना चाहिए। इसके बाद, उन्हें ऑन-लाइन प्रक्रिया के माध्यम से ऑनलाइन ई-अनुदान पोर्टल पर अर्थात् www.grants.depwd.gov.in पर आवेदन करना होगा।
- योजना के अनुसार अपेक्षित सभी दस्तावेजों के लिए कोई संगठन प्रारूप कहां प्राप्त कर सकता है?
सभी प्रारूप योजना दस्तावेज में उपलब्ध हैं जो ई-अनुदान पोर्टल अर्थात् www.grants.depwd.gov.in के साथ-साथ विभाग की वेबसाइट अर्थात् www.depwd.gov.in पर भी उपलब्ध हैं।
- कोई संगठन किसी वित्तीय वर्ष के लिए सहायता अनुदान हेतु कब आवेदन कर सकता है?
एमएसजेई ई-अनुदान पोर्टल Grants Depwd संगठनों को किसी विशेष वर्ष में अधिसूचित होने पर अनुदान सहायता के लिए आवेदन करने की अनुमति देता है ।
- ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि क्या है?
कोई संगठन सहायता अनुदान के लिए आवेदन वित्तीय वर्ष के अंत तक या अधिसूचित होने, इनमें से जो भी पहले हो, पर आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। हालांकि, वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के भीतर ऑनलाइन आवेदन जमा करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह जिला और राज्य प्राधिकरणों को इस विभाग को प्रस्ताव अग्रेषित करने के लिए पर्याप्त समय देता है।
- नया मामला क्या है?
जिस परियोजना को डीडीआरएस के अंतर्गत कोई सहायता अनुदान प्राप्त नहीं हुआ है, उसे नया मामला माना जाता है। भले ही यह पिछले वर्षों में मंजूरी प्राप्त हुए बिना उसी परियोजना के लिए आवेदन कर रहा हो।
- चालू मामला क्या है?
डीडीआरएस के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष नियमित सहायता अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन को चालू मामला माना जाता है।
- डीडीआरएस के तहत सहायता अनुदान के आवेदन को प्रस्तुत करने का चैनल क्या है?
आवेदन ऑनलाइन जमा करने के बाद यह ऑनलाइन सीधे निरीक्षण के लिए जिला कल्याण अधिकारी के पास पहुंच जाता है। जिला प्राधिकारियों द्वारा निरीक्षण के बाद, आवेदन संबंधित राज्य की राज्य सरकार को ऑनलाइन अग्रेषित किया जाता है। इसके बाद, राज्य सरकार राज्य सहायता अनुदान समिति में सभी प्रस्तावों की जांच करती है और पात्र संगठनों को पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन सहायता अनुदान जारी करने के लिए राज्य सरकारों की सिफारिश के साथ केंद्र सरकार को भेजा जाता है। यदि यह प्रस्ताव एक नया मामला है, तो इसकी जांच दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) द्वारा गठित स्क्रीनिंग समिति द्वारा भी की जाती है। चालू मामलों के लिए, यदि सभी दस्तावेज क्रम में हैं तो सहायता अनुदान के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
- एक संगठन सहायता अनुदान कैसे प्राप्त करता है?
सहायता अनुदान केंद्रीय नोडल एजेंसी को वितरित किया जाएगा जो गैर-सरकारी संगठनों/कार्यान्वयन एजेंसी के शून्य शेष सहायक खाते (जीरो बैलेंस सब्सिडी अकाऊंट) में आगे दिए जाने वाले सहायता अनुदान की सीमा निर्धारित करता है।
- क्या संगठन चालू वित्तीय वर्ष में पिछले वित्तीय वर्ष का सहायता अनुदान प्राप्त कर सकता है?
जी हाँ, सामान्य वित्तीय नियम, 2017 के नियम 230 (15) के अनुसार, यदि यह चालू मामला है और दस्तावेज क्रम में पाए जाते हैं तो किसी भी संगठन को पिछले 2 वर्षों के लिए सहायता अनुदान दिया जा सकता है।
- क्या संगठन की वेबसाइट पर लाभार्थियों की सूची अपलोड करना अनिवार्य है?
जी, हाँ। संगठन को प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत के साथ संगठन की वेबसाइट पर लाभार्थियों की सूची अपलोड करना आवश्यक है।
- क्या कोई संगठन अपने कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान नकद के माध्यम से कर सकता है?
जी, नहीं। डीडीआरएस के तहत प्रत्येक संगठन को ईसीएस के माध्यम से अपने कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान करना होगा।
- उन किश्तों की न्यूनतम संख्या क्या है जिसमें किसी संगठन को किसी वर्ष के लिए सहायता अनुदान प्राप्त होता है?
योजना के अनुसार, कोई संगठन लेखा परीक्षित लेखों को प्रस्तुत करने के बाद एकल किस्त में भी सहायता अनुदान प्राप्त कर सकता है।
- सहायता अनुदान की प्रक्रिया के लिए संगठन से आवश्यक दस्तावेज क्या हैं?
अपेक्षित दस्तावेज़
| 1. | आवेदन | ई-अनुदान पोर्टल में इलेक्ट्रॉनिक आवेदन प्रपत्र के अनुसार। | 
|---|---|---|
| 2. | सोसायटी पंजीकरण अधिनियम आदि के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र। | आवेदन के साथ वैध पंजीकरण और आरपीडब्ल्यूडी प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक है। | 
| 3. | निशक्तजन अधिनियम 1995/दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र | |
| 4. | प्रबंध/कार्यकारी समिति का विवरण | नाम, आवासीय पता, टेलीफोन नंबर, सदस्यों के ईमेल पते और संगठन की वेबसाइट का पता आदि आवश्यक है। | 
| 5. | किराया-समझौता जिसमें वैधता अवधि और उपलब्ध आवास का विवरण दर्शाया गया हो | इस योजना में यथा निर्धारित आवेदन प्रपत्र के साथ जमा करना होगा। | 
| 6. | स्टाफ की सूची | इस योजना में निर्धारित प्रारूप के अनुसार। स्टाफ की सूची में उनकी नियुक्ति की तारीख, संपूर्ण योग्यता (यदि संक्षिप्त नाम का उपयोग किया गया है, तो विवरण दिया जा सकता है), अनुभव आदि स्पष्ट रूप से दर्शाया जाना चाहिए। | 
| 7. | शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण पत्र | इस परियोजना के तहत नियुक्त सभी कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की प्रतियां आवश्यक हैं। | 
| 8. | लाभार्थियों की सूची | इस योजना में निर्धारित प्रारूप के अनुसार जिसमें परियोजना (परियोजना के तहत बिताया गया कुल समय) के तहत जन्म तिथि, प्रवेश की तारीख, दिव्यांगता की श्रेणी और प्रतिशत, स्कूल के मामले में कक्षा/स्टैंडर्ड आदि स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। | 
| 9. | कुल बजट अनुमान | योजना/परियोजना के अनुसार प्रत्येक मद एवं पद पर पृथक रूप से अनुमानित व्यय का विवरण शामिल होना चाहिए। | 
| 10. | वार्षिक रिपोर्ट/प्रगति रिपोर्ट | पिछले वर्ष में संगठन की गतिविधियों का विवरण दर्शाया जाना है। सहायता अनुदान के नए प्रस्तावों के मामले में, पिछले 2 वर्षों की वार्षिक रिपोर्टें आवश्यक है। | 
| 11. | खातों का विवरण (समेकित और योजना के तहत वित्त पोषित की जा रही परियोजना के लिए) – तुलन पत्र, रसीद और भुगतान विवरण तथा आय और व्यय विवरण | खातों के विवरण में, अन्य बातों के साथ-साथ, चालू मामलों में सहायता अनुदान जारी करने के लिए आवेदन करते समय (i) रसीद और भुगतान विवरण, (ii) आय और व्यय विवरण (iii) तुलन पत्र और (vii) मद वार तुलनात्मक विवरण की एक प्रति उपयोग प्रमाणपत्र के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए। खातों का लेखापरीक्षित विवरण उपलब्ध होते ही प्रदान किया जाना चाहिए। सहायता अनुदान के नए प्रस्तावों के मामले में, पिछले 2 वर्षों के खातों का विवरण आवश्यक है। | 
| 12. | व्यय का मदवार ब्यौरा | प्राप्त पिछले अनुदान के संबंध में व्यय का मद-वार/पद-वार विवरण निर्धारित प्रपत्र में जारी मामलों के लिए अनुदान प्रस्तावों के साथ प्रस्तुत किया जाना है, ताकि यह आकलन किया जा सके कि पिछले वित्तीय वर्ष में एनजीओ द्वारा मदवार/पदवार स्वीकृति के अंतर्गत व्यय किया गया है या नहीं । व्यय का लेखापरीक्षित मदवार ब्यौरा उपलब्ध होते ही प्रदान किया जाना चाहिए | 
| 13. | उपयोग प्रमाणपत्र | 1. 1. उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) निर्धारित प्रपत्र में व्यय के लेखापरीक्षित मद-वार विवरण के साथ प्रदान किया जाना चाहिए और यूसी के प्रपत्र के शब्दों की संरचना या व्यवस्था को किसी भी तरीके से बदला या प्रतिस्थापित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। . 2. 2. उपयोग प्रमाणपत्र (यूसी) पर संकल्प के अनुसार प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता/हस्ताक्षरकर्ताओं के हस्ताक्षर होने चाहिए। अकेले ऑडिटर (सीए) या प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता/हस्ताक्षरकर्ताओं के अलावा किसी अन्य व्यक्ति का हस्ताक्षर स्वीकार्य नहीं है। | 
| 14. | संकल्प | 1. 1. बांड के साथ संकल्प संलग्न होना चाहिए। 2. 2. प्रस्ताव पर प्रबंध/कार्यकारी समिति के अधिकांश सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किया जाना चाहिए, जो एनजीओ की ओर से इस बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए एनजीओ के प्रतिनिधि सदस्य/सदस्यों को प्राधिकृत करता है। 3. 3. संकल्प पर संकल्प की तारीख अंकित की जानी चाहिए। 4. 4. संकल्प के अनुसरण में, बांड आदि पर प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता/हस्ताक्षरकर्ताओं के हस्ताक्षर होने चाहिए। | 
| 15. | बांड | 1. 1. क्षतिपूर्ति बांड दस्तावेज़ 20/- रूपये (बीस रुपये मात्र) के गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर नई प्रक्रिया के अनुसार, बांड प्रारूप में, अनुदान आवेदन के साथ अग्रिम रूप से जमा किया जाना चाहिए। 2. 2. क्षतिपूर्ति बांड पर एनजीओ के प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता/हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा विधिवत रूप से हस्ताक्षर किया जाना चाहिए और इस मंत्रालय के पक्ष में निष्पादित किया जाना चाहिए। | 
 
        